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पूर्वांचल के हनकदार बाहुबली नेता रहे हरिशंकर तिवारी पर सीबीआई की नकेल

पूर्वांचल के हनकदार बाहुबली नेता रहे हरिशंकर तिवारी पर सीबीआई की नकेल

 सुनील वर्मा 

लखनऊ। एक जमाना था जब गोरखपुर तथा पूर्वांचल में बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी की तूती बोलती थी। हरिशंकर तिवारी को पूर्वांचल का माफिया कहा जाता है। उनके खिलाफ टेंडरों के रैकेट से रंगदारी और जमीनों पर कब्जे  के आरोप लगे लेकिन शासन-प्रशासन की हिम्मेत नहीं हुई कि उनके गिरेंबा पर हाथ डाल सके। लेकिन मोदी काल में मानों स
ब बदल गया है और आज उत्तर प्रदेश के बाहुबली हरिशंकर तिवारी पर शिकंजा कस गया है। सीबीआई ने आज उनके बेटे और बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी की कंपनी से जुड़े मामले में ताबड़तोड़ छापेमारी की है। यह छापे लखनऊ, गोरखपुर, नोएडा समेत कई ठिकानों पर हुए हैं। सीबीआई ने विनय शंकर तिवारी और उनकी पत्नी रीता तिवारी के खिलाफ केस भी दर्ज कर लिया है। इसकी आंच देर सबेर हरिशंकर तिवारी तक भी पहुंच सकती है।

कौन हैं हरिशंकर तिवारी?

आठवें दशक की बात है, पूर्वी यूपी में बाहुबल सियासत के रास्ते खोल रहा था। कई बड़े माफिया गिरोह यहां पैर पसार चुके थे। इसी गिरोहबंद राजनीति के बीच हरिशंकर ने राजनीति का रास्ता पकड़ा। शुरुआती पराजय का स्वाद चखने के बाद 1985 में हरिशंकर चिल्लूपार से विधायक बने। इसके बाद यह सीट तिवारी के नाम से जानी जाने लगी। तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह के तमाम प्रयास के बावजूद चिल्लूपार से तिवारी की जड़ें नहीं उखड़ीं। वह 1989,91,93,96 और 2002 में यहीं से जीते। इसी सीट के दम पर हरिशंकर राज्य के मंत्री बने। हरिशंकर तिवारी के बड़े बेटे भीष्मशंकर तिवारी, खलीलाबाद लोकसभा सीट से सांसद रह चुके हैं। लेकिन लोकतंत्र पिछले आंकड़ों से नहीं चलता।

लेकिन फिलहाल सीबीआई ने एक कंपनी से जुड़े 754 करोड़ के बैंक फ्रॉड मामले में विनय शंकर और उनकी पत्नी के खिलाफ केस दर्ज किया है। विनय शंकर तिवारी के साथ कंपनी के दूसरे डायरेक्टर अजीत पांडे भी नामजद हैं। बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी से जुड़ी कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेस पर 1500 करोड़ के बैंक लोन घोटाले का आरोप है। 

बैंक ने दर्ज कराई थी एफआईआर

बताया जा रहा है कि गंगोत्री इंटरप्राइजेस के लिए बैंक लोन लिया गया था। लोन लेने के लिए फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग किया गया और बाद में कंपनी ने लोन का भुगतान भी नहीं किया। इस मामले में बैंक ने विनय तिवारी की कंपनी के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई थी।

इन कंपनियों पर हुआ एक्शन

बताया जा रहा है कि चिल्लूपार से बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी, पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों गंगोत्री इंटरप्राइजेज, मैसर्स रॉयल एंपायर मार्केटिंग लिमिटेड, मैसर्स कंदर्प होटल प्राइवेट लिमिटेड के ठिकानों पर छापेमारी की गई है। सभी कंपनियां विनय तिवारी से ही जुड़ी हैं।

विनय तिवारी का राजनतिक सफर



2007 में राजेश त्रिपाठी को बीएसपी ने टिकट दिया। पहले इस सीट पर श्यामलाल यादव बीएसपी से लड़ते थे। यादव टक्कर तो देते लेकिन जीत नहीं पाते। स्थानीय पत्रकार से नेता बने राजेश त्रिपाठी को भी बहुत गंभीरता से नहीं लिया गया। लेकिन जब मतपेटियां खुलीं तो परिणाम बदल चुका था। हरिशंकर अपनी सीट गंवा चुके थे। पहली बार जीते राजेश को इसका इनाम भी मिला और मायावती ने उन्हें मंत्री बनाया। 2012 में राजेश फिर जीते। 2017 में जब बीएसपी का टिकट राजेश ने अपने विरोधी हरिशंकर तिवारी परिवार में जाते देखा तो उन्होंने बगावत कर दी और बीजेपी में शामिल हो गए। बीएसपी ने हरिशंकर के बेटे विनय तिवारी को चिल्लूपार से टिकट दिया और वह चुनाव जीत गए।

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल की राजनीति में अब तक कई बाहुबली नेता हुए हैं। इन बाहुबलियों ने अक्सर अपनी खौफनाक वारदातों के चलते राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा। आज मुख्तार अंसारी, ब्रजेश सिंह, रमाकांत यादव, उमाकांत यादव, धनंजय सिंह, विजय मिश्र और राजा भैया जैसे कई नाम लोगों की जुबान पर हैं। लेकिन हरिशंकर तिवारी एक ऐसा नाम है जिसे पूर्वांचल का पहला बाहुबली नेता कहा जाता है। कहते हैं कि हरिशंकर तिवारी के नक्शे कदम पर चलकर ही मुख्तार, ब्रजेश जैसे आपराधिक प्रवृत्ति के लोग राजनीति में आए। चलिए कुछ बातों को जानते हैं जिनसे हरिशंकर तिवारी की पूरी कहानी समझ में आ जाएगी। 

1. साल 1985 में हरिशंकर तिवारी उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले की चिल्लूपार विधानसभा सीट से विधायक बने। हरिशंकर का चुनाव जीतना कई मायनों में अनूठा था. एक तो यह कि वह निर्दलीय उम्मीदवार थे।  दूसरी बात यह कि वे जेल की सलाखों के भीतर रहते हुए चुनाव जीते थे।  इस जीत को कुछ लोगों ने भारतीय राजनीति में अपराध का सीधा प्रवेश कहा। 

2. नब्बे के दशक में गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र शाही के गुटों में वर्चस्व की लड़ाई चलती थी। साल 1997 में लखनऊ में दिनदहाड़े वीरेंद्र शाही की हत्या कर दी गई। इससे इस वर्चस्व की लड़ाई पर लगाम तो लग गई, लेकिन इसके बाद पूर्वांचल की राजनीति में कई बाहुबलियों ने दस्तक देनी भी शुरू कर दी।

3. हरिशंकर तिवारी का गोरखपुर में इतना दबदबा था कि वे लगातार 22 वर्षों तक विधायक चुने गए। साथ ही 1997 से लेकर 2007 तक लगातार अलग-अलग सरकारों में मंत्री भी रहे। यानी कि हरिशंकर तिवारी कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, मायावती और मुलायम सिंह यादव के मंत्रिमंडल का हिस्सा बने।

4. हरिशंकर तिवारी की पूरे गोरखपुर मंडल में चलती थी। उनकी इजाजत के बिना समस्त मंडल में किसी को कोई ठेका नहीं मिलता था। वसूली करना, सरकारी काम में बाधा डालना, पुलिस को थप्पड़ मार देना, गाड़ी चेक न कराना, अवैध हथियारों से फायरिंग करना जैसे कृत्य उसके लिए आम बात मानी जाती थी।

5. हरिशंकर तिवारी के खिलाफ दो दर्जन से अधिक मुकदमें दर्ज किए गए थे। लेकिन उनके खिलाफ लगे सभी मुकदमे कोर्ट द्वारा खारिज कर दिए गए। लोग मानते हैं कि तिवारी ने या तो अपने खिलाफ मौजूद सबूतों को नष्ट करवा दिया या फिर गवाहों को डरा- धमकाकर चुप करा दिया।


6. 2007 के विधानसभा चुनाव में हरिशंकर तिवारी को अप्रत्याशित हार का सामना करना पड़ा। राजेश त्रिपाठी नाम के बसपा उम्मीदवार ने उन्हें मात दी। अप्रत्याशित इसलिए कि राजेश त्रिपाठी उस वक्त एक गुमनाम सा शख्स था। ऐसे में तिवारी की जीत हर बार की तरह पक्की मानी जा रही थी।

7. 2012 के विधानसभा चुनाव में भी हरिशंकर तिवारी को हार का मुंह देखना पड़ा। इस चुनाव में भी राजेश त्रिपाठी की ही जीत हुई। तिवारी इस बार तीसरे नंबर पर आ गए। तिवारी ने इसके बाद फिर कोई चुनाव नहीं लड़ा। हालांकि उन्होंने अपने दो बेटों और एक भांजे को राजनीति में स्थापित कर दिया।

उनका बड़ा बेटा भीष्म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी बसपा सांसद हो गया। भांजा गणेश शंकर पांडे बसपा से विधान परिषद सभापति रहा और छोटा बेटा विनय शंकर तिवारी बसपा के टिकट विधायक बन गया। बस अब परिवार ही हरिशंकर तिवारी के पतन का कारण बनने जा रहा है। 

गोरखपुर में एक तरफ जहां हरिशंकर तिवारी को ब्राह्मणों का क्षत्रपप माना जाता था तो गोरखनाथ मठ के योगी आदित्यवनाथ जो अब सूबे के मुख्य मंत्री बन चुके क्षत्रिय समाज के बड़े नेता बन चुके थे दोनों के बीच छत्तीवस का आंकडा था। हरिशंकर तिवारी को आज योगी आदित्येनाथ के साथ अपनी वहीं अदावत आज भारी पड गई है। आने वाले दिनों में सीबीआई बैंक धोखाधडभ्‍ के इस मामलें में ओर बडी कार्रवाई कर सकती है। 


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