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बोर्ड बैठक से पहले ही नगर निगम ने चुपचाप साइन कर दिया था विज्ञापन के ठेके का अनुबंध ?

बोर्ड बैठक से पहले ही नगर निगम ने चुपचाप साइन कर दिया था विज्ञापन के ठेके का अनुबंध ?



संवाददाता
गाजियाबाद । एक कंपनी को 15 वर्ष के लिए विज्ञापन का ठेका छोडऩे के मामले में नगर निगम ने बोर्ड से भी तथ्य छुपाए। अगर विज्ञापन प्रभारी डॉक्टर संजीव सिन्हा की मानें तो नगर निगम बोर्ड की बैठक से पहले ही निगम ने कंपनी के साथ अनुबंध कर लिया था। यानि नगर निगम प्रशासन ने जिस कंपनी को शहर में 15 वर्ष के लिए विज्ञापन का ठेका दिया है, उस कंपनी के साथ अनुबंध की बात भी नगर निगम प्रशासन ने बोर्ड को नहीं बताई। इससे साफ जाहिर होता है कि नगर निगम प्रशासन 15 वर्ष के लिए दिए गए विज्ञापन के टेंडर को लेकर अलग ही खिचड़ी पकाने की कोशिश में लगा हुआ है।

गत दिनों नगर निगम बोर्ड की बैठक में इस मामले को पार्षद हिमांशु मित्तल ने भी उठाया था। उन्होंने एक कंपनी के खिलाफ नगर निगम द्वारा ब्लैक लिस्ट की गई कार्रवाई के सबूत भी नगर निगम बोर्ड की बैठक के दौरान नगर आयुक्त को दिए थे। लेकिन इसके बाद भी निगम प्रशासन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। निगम प्रशासन एक तरह से मान रहा है कि नगर निगम बोर्ड और उनके सदस्यों को जानकारी देने की कोई जरूरत नहीं है।

अब यह मामला और तूल पकड़ता जा रहा है। इसको लेकर पहले ही पार्षद हिमांशु मित्तल शासन को पत्र लिख चुके हैं और नगर निगम द्वारा दिए गए इस ठेके की जांच की मांग कर चुके हैं। शासन ने भी इस कथित घोटाले को लेकर किसी भी प्रकार की एक्टिविटी नहीं दिखाई और ना ही इस पर जांच बैठाई है। अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है।

पार्षद हिमांशु मित्तल ने हाईकोर्ट में इस केस को फाइल किया है। इस पर अब नगर निगम को जवाब देना है। माना जा रहा है कि जल्दी ही इस पर सुनवाई होगी। लेकिन यह मामला एक कानूनी है। नगर निगम बोर्ड की बात करें तो पार्षद राजेंद्र त्यागी हमेशा कहते हैं कि तमाम तरह के प्रस्ताव नगर निगम बोर्ड की बैठक में आने चाहिएं। नगर निगम किस विकास के लिए टेंडर छोड़ रहा है और किसके लिए नहीं, इस पर सदन में बहस होनी चाहिए। लेकिन इस पूरे प्रकरण पर उनकी चुप्पी भी उन्हें संदेह के घेरे में खड़ा कर रही है ।

उन्होंने आज तक इस प्रकरण में एक बयान तक जारी नहीं किया है। वह ऐसी छवि के व्यक्ति नहीं माने जाते हैं। लेकिन काफी दिनों से उनमें जो बदलाव देखा जा रहा है, वह उनके व्यवहार पर ही सवाल खड़े कर रहा है। गत दिनों हाउस टैक्स बढ़ाने के मामले में उन्होंने नगर निगम का साथ दिया था और अब वह इस कथित घोटाले पर चुप्पी साधे हुए हैं। इस मामले में भी वह नगर निगम का साथ दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम को अपनी चुप्पी तोडऩी होगी।

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