
लखनऊ पुलिस आयुक्त के तबादले के पीछे खास लॉबी के दबाव की चर्चा
वरिष्ठ संवाददाता
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ व
फिरोज़ाबाद में जहरीली शराब से हुई मौतों के मामले में मंगलवार को देर रात बड़ी
कार्रवाई करते हुए लखनऊ के पुलिस आयुक्त सुजीत पाण्डेय को हटा दिया गया है। उनकी
जगह डी के ठाकुर को लखनऊ का नया पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। लखनऊ व फिरोजाबाद के
जिला आबकारी अधिकारी हटा दिए गए हैं जबकि इन दोनों जिलों के आबकारी निरीक्षकों को
निलंबित कर दिया गया है। लेकिन लखनऊ इस बात की चर्चा जोरों पर है कि ठाकुर
लॉबी के दबाव में पांडे को पहले से ही हटाने की तैयारी थी बस किसी बहाने का इंतजार
था।
बताया जा रहा है कि यूपी की सियासत
में इन दिनों हावी क्षत्रिय लॉबी लंबे समय से मुख्यमंत्री योगी पर दबाव बना रही
थी कि लखनऊ में किसी क्षत्रिय अधिकारी को पुलिय आयुक्त बनाया जाए। दरअसल राजधानी
होंने के कारण लखनऊ यूपी की सियासत का गढ है और अधिकांश नेताओं का पुलिस से वास्ता
पड़ता रहता है। माना जाता है कि ईमानदार छवि के सुजीत पांडे किसी का दबाव नहीं
मानते थे और सही काम को ही अंजाम देते थे जिस कारण वे क्षत्रिय लॉबी के कई नेताओं
की आंख की किरकिरी बन गए थे। बीजेपी नेताओं की क्षत्रिय लॉबी काफी दिनों से मुख्यमंत्री
योगी पर दबाव बना रही थी कि सुजीत पांडे को हटाकर किसी क्षत्रिय अधिकारी को पुलिस
आयुक्त किया जाएं।
हालांकि मुख्यमंत्री ने पुलिस कमिश्नर
की बेदाग छवि के कारण कोई दबाव तो नहीं माना लेकिन लखनऊ में जहरीली शराब से छह
लोगों की मौत का मामला सामने आने के बाद सुजीत पांडे के खिलाफ सक्रिय लॉबी ने एक
बार फिर दबाव बनाया। इसी बहाने पुलिस कमिश्नर सुजीत पाण्डेय को लखनऊ के आयुक्त पद
से रूखसत कर उनके स्थान पर क्षत्रिय बिरादरी के आईपीएस डीके ठाकुर को लखनऊ का
पुलिस कमिश्नर बना दिया गया हैं। सुजीत पाण्डेय को एडीजी पीटीसी सीतापुर के पद पर
तैनात किया गया है।
साल 2011 में जब डी के ठाकुर लखनऊ के डीआईजी थे तब प्रदेश में
मायावती की सरकार थी। तब समाजवादी पार्टी ने 9 मार्च 2011 को तीन दिन के प्रदेश व्यापी सरकार विरोधी आन्दोलन का एलान किया था.
आन्दोनल के अन्तिम दिन राजधानी के मुख्य बाजार हजरतगंज में प्रदर्शन के दौरान
गिरफ्तार उत्तर प्रदेश लोहिया वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष आनंद सिंह भदौरिया को डीआईजी
डीके ठाकुर ने पहले बाल से पकडकर घसीटा उसके बाद उनके सिर को लातों से रौंद डाला
था. इस प्रकरण की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी और डी के
ठाकुर तब मीडिया की सुर्खियों में रहे थे। इस प्रकरण के बाद ठाकुर को लंबे समय तक
किसी अच्छी तैनाती के बिना बनवास झेलना पड़ा था। अब डीके ठाकुर की लखनऊ के पुलिस
आयुक्त पद पर तैनाती समाजवादी पार्टी के नेताओं की बेचैनी बढा सकती है।
बता दें कि बीती 13 नवम्बर को लखनऊ के बंथरा इलाके में
एक कोटेदार द्धारा बेची जा रही मिलावटी शराब पीने से छह लोगों की मौत हो गई थी और
कई लोग बीमार हो गए। इसी तरह फिरोजाबाद जिले में भी जहरीली शराब पीने से कुछ लोगों
की मौत हुई थी। दिलचस्प
बात ये है कि जहरीली शराब का पुलिस से कोई सीधा संबध नहीं था इसके पीछे सीधे तौर
पर आबकारी विभाग की लापरवाही और मिलीभगत थी, लेकिन शासन ने सीधे तौर लखनऊ पुलिस के
मुखिया को इसका जिम्मेदार मानते हुए उन पर गाज गिरा दी।
लखनऊ में आयुक्त के पद पर फेरबदल के साथ शासन ने जी
के गोस्वामी को एटीएस का आईजी बनाया गया है। वह हाल ही में सीबीआई से लौटे थे और
प्रतीक्षारक्ष थे। वहीं केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटकर नियुक्ति का इंतजार कर
रहे राजकुमार को अपर पुलिस महानिदेशक कार्मिक बनाया गया है।
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