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सीएम योगी के सपनों को पंख लगाएगा हरदोई-लखनऊ सीमा पर बनने वाला टेक्सटाइल पार्क

सीएम योगी के सपनों को पंख लगाएगा हरदोई-लखनऊ सीमा पर बनने वाला टेक्सटाइल पार्क

 

संवाददाता

-यूपी को ग्लोबल टेक्सटाइल हब बनाने में मददगार होगा पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क
-योगी सरकार के प्रयासों से टेक्सटाइल सेक्टर में बढ़ी निवेशकों की रूझान

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में वस्त्र उद्योग की बेहद सम्पन्न परंपरा रही है। इसी परंपरा के आधार पर अपने पहले कार्यकाल से ही मुख्यमंत्री  योगी आदित्यनाथ की मंशा उत्तर प्रदेश को वस्त्र उद्योग (टेक्सटाइल इंडस्ट्री) के क्षेत्र में ग्लोबल हब बनाने की है। इसके दृष्टिगत अब तक किए गए प्रयास और पॉलिसी मैटर के जो प्रस्ताव पाइपलाइन में हैं, उनकी वजह से इस सेक्टर ने निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित किया है। 

पीएम मित्र योजना के तहत हरदोई एवं लखनऊ की सीमा पर करीब 1000 एकड़ में बनने वाला टेक्सटाइल पार्क सीएम योगी के इस सपने को पंख लगाएगा।

मालूम हो कि वस्त्र उद्योग संभावनाओं का क्षेत्र है। इन्वेस्ट इंडिया की रिपोर्ट (जुलाई-2020) के मुताबिक इस सेक्टर में प्रति एक करोड़ के निवेश पर औसतन 70 लोगों को रोजगार मिलता है। भाजपा ने अपने लोककल्याण संकल्पपत्र-2022 में 'हर परिवार-एक रोजगार' का लक्ष्य रखा है। संकल्पपत्र में उत्तर प्रदेश को देश का 'टेक्सटाइल हब' बनाने की प्रतिबद्धता जताई गई है।

5 साल में 5 लाख रोजगार और 7500 करोड़ निवेश का लक्ष्य

इस लक्ष्य को हासिल करने के मद्देनजर इस क्षेत्र की प्रासंगिकता और बढ़ जाती है। इसीलिए हथकरघा एवं वस्त्र उद्योग विभाग ने 5 साल में 5 लाख रोजगार के अवसर मुहैया कराने के लिए 7500 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य मुश्किल भी नहीं है। कारण, मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार उत्तर प्रदेश में देश का टेक्सटाइल हब बनने की पूरी संभावना है। इसकी कई वजहें हैं। मसलन देश की सबसे अधिक आबादी होने के नाते काम करने के भरपूर मानव संसाधन और तैयार माल के लिए बाजार यहां सहज उपलब्ध है। 

टेक्सटाइल के क्षेत्र में है प्रदेश की बेहद सम्पन्न परंपरा

प्रदेश में वस्त्र उद्योग की बेहद संपन्न परंपरा के नाते यहां दक्ष श्रमिकों की भी कोई कमी नहीं है। जरूरत समय के अनुसार प्रशिक्षण देकर उनका हुनर निखारने की है। वाराणसी की रेशमी साड़ियां, भदोही की हाथ से बनी कालीन, लखनऊ की चिकनकारी, बरेली की जरी जरदोजी, नोएडा के रेडीमेड गारमेंट्स की देश-दुनिया में अपनी पहचान है। प्रदेश के 34 जिले हथकरघा बाहुल्य हैं। इसी तरह मऊ, अम्बेडकर नगर, वाराणसी, मेरठ, कानपुर, झांसी, इटावा, संतकबीरनगर आदि जिले पॉवरलूम बहुल हैं। ये आंकड़े और उत्पाद हमारी सम्पन्न परंपरा के सबूत हैं।

रेडीमेड गारमेंट्स की 115 निर्यातोन्मुखी इकाइयों की होगी स्थापना

देश-दुनिया में रेडीमेड गारमेंट्स के उत्पादन में पहचान बना चुके नोएडा में इसे संगठित रूप देने के लिए सरकार वहां अपैरल पार्क बनाएगी। इस पार्क में रेडीमेड गारमेंट्स की लगभग 115 निर्यातोन्मुखी इकाइयों की स्थापना का लक्ष्य है। एक अनुमान के अनुसार इसमें तीन हजार करोड़ का निवेश आएगा। जुलाई में शिलान्यास और सितंबर 2025 तक सभी इकाइयों में व्यावसायिक उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा सरकार की योजना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर पांच टेक्सटाइल एंड अपैरल पार्क बनाने की भी है। इसके लिए अगले कुछ महीनों में जमीन चिन्हित कर टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। 2026 तक इनमें उत्पादन शुरू कराने का लक्ष्य है।

सम्पन्न परंपरा वाले शहरों में बनेंगी फ्लैटेड फैक्ट्रियां

इस उद्योग को संगठित रूप देने के लिए जिन शहरों या उनके आसपास रेडीमेड गारमेंट्स की संपन्न परंपरा रही है, उनमें सरकार फ्लैटेड फैक्ट्री बनाएगी। पहले चरण में इसके लिए कानपुर नगर, गोरखपुर और आगरा को चुना गया है। क्लस्टर अप्रोच की संभानाओं के मद्देनजर ही सरकार सभी एक्सप्रेसवे के किनारों बनने वाले औद्योगिक गलियारों में उस क्षेत्र की परंपरा के अनुसार टेक्सटाइल उद्योग की स्थापना भी करेगी। आगे चलकर राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम एवं एमएसईसीडीपी योजना के तहत 500 करोड़ रुपये की लागत से हर ब्लॉक में ऐसे क्लस्टर विकसित किए जाएंगे।

नई टेक्सटाइल पॉलिसी में ब्रांड यूपी पर जोर

इसी मकसद से सरकार नई टेक्सटाइल पॉलिसी भी ला चुकी है। नई पॉलिसी में बेहतरीन आधारभूत संरचना, बुनकरों के कौशल विकास और क्लस्टर अप्रोच के जरिए उत्तर प्रदेश को ग्लोबल टेक्सटाइल हब बनाने के क्रम में सरकार का ब्रांड यूपी के लिए तैयार माल के मार्केंटिंग पर  जोर है। इस क्रम में सरकार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के बड़े खिलाड़ियों मसलन फ्लिपकार्ट, अमेजन के साथ एमओयू करेगी। बुनकरों को अपने उत्पादों को ऑनबोर्ड करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

पीएम मित्र योजना के तहत बनने वाले पार्क की खूबियां

पीएम मित्र योजना के तहत 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से जो वैश्विक स्तर का टेक्सटाइल पार्क बनने जा रहा है, वह संबंधित उद्योग के लिहाज से सभी आधुनिक बुनियादी सुविधाओं से लैस होगा। पहले चरण के विकास में आने वाली लागत में प्रदेश एवं केंद्र की हिस्सेदारी का अनुपात क्रमशः 51: 49 का होगा। पब्लिक, प्राइवेट, पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर विकसित किये जाने वाले इस पार्क के संचालन के लिए स्पेशल पर्पज व्हीकल (एसपीवी) गठित होगी। उम्मीद है कि इस पार्क के जरिए करीब 12 हजार करोड़ रुपये का निवेश आएगा। इसके विकसित होने  पर एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष एवं दो लाख लोगों को परोक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पहल के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर चुके हैं।

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